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मार्कण्डेय प्रोक्त मृत्युशमन “महामृत्युंजय स्तोत्र”

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  मार्कण्डेय मुनि द्वारा वर्णित “महामृत्युंजय स्तोत्र” मृत्युंजय पंचांग में प्रसिद्ध है और यह मृत्यु के भय को मिटाने वाला स्तोत्र है. इस स्तोत्र द्वारा प्रार्थना करते हुए भक्त के मन में भगवान के प्रति दृढ़ विश्वास बन जाता है कि उसने भगवान “रुद्र” का आश्रय ले लिया है और यमराज भी उसका कुछ बिगाड़ नहीं पाएगा. यह स्तोत्र 16 पद्यों में वर्णित है और अंतिम 8 पद्यों के अंतिम चरणों में “किं नो मृत्यु: करिष्यति” अर्थात मृत्यु मेरा क्या करेगी, यह अभय वाक्य जुड़ा हुआ है. महामृत्युंजय स्तोत्र के पाठ से पूर्व निम्न प्रकार से विनियोग करें :- “ऊँ अस्य श्रीसदाशिवस्तोत्रमन्त्रस्य मार्कण्डेय ऋषि: अनुष्टुप् छन्द: श्रीसदाशिवो देवता गौरी शक्ति: मम समस्तमृत्युशान्त्यर्थे जपे विनियोग:।” विनियोग के पश्चात “ऊँ नम: शिवाय” मंत्र से करन्यास तथा अंगन्यास करें तथा ध्यान लगाकर स्तोत्र का पाठ करें.   मृत्युंजय स्तोत्र – Mrityunjay Stotra रत्नसानुशरासनं रजताद्रिश्रृंगनिकेतनं शिण्जिनीकृतपन्नगेश्वरमच्युतानलसायकम्। क्षिप्रदग्धपुरत्रयं त्रिदशालयैरभिवन्दितं चन्द्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यम: ।।1।। पंचपादपपुष्प...

श्री कृष्ण भजन (कोई कहे गोविंदा कोई गोपाला)

  कोई कहे गोविंदा कोई गोपाला  मैं तो कहूं सांवरिया बांसुरी वाला कोई कहे गोविंदा, कोई गोपाला। मैं तो कहुँ सांवरिया बाँसुरिया वाला॥ राधाने श्याम कहा, मीरा ने गिरधर। कृष्णा ने कृष्ण कहा, कुब्जा ने नटवर॥ ग्वालो ने तुझको पुकारा गोपाला। मैं तौ कहुँ साँवरिया बाँसुरिया वाला॥ घनश्याम कहते हैं बलराम भैया। यशोदा पुकारे कृष्ण कन्हैया॥ सुरा की आँखों कें तुम हो उजाला। मैं तो कहुँ साँवरिया बाँसुरिया वाला॥ कोई कहे गोविंदा, कोई गोपाला। मैं तो कहुँ सांवरिया बाँसुरिया वाला॥ भीष्म ने बनवारी, अर्जुन ने मोहन। छलिया भी कह कर के बोला दुर्योधन॥ कन्स तो जलकर के कहता है काला। मैं तो कहुँ सांवरिया बाँसुरिया वाला॥ भक्तों के भगवान, संतो के केशव। भोले कन्हैया तुम मेरे माधव॥ ग्वालिनिया तुझको पुकारे नंदलाला। मैं तौ कहुँ साँवरिया बाँसुरिया वाला॥ कोई कहे गोविंदा, कोई गोपाला। मैं तो कहुँ सांवरिया बाँसुरिया वाला॥ *** समाप्त***

पंचांग परिचय

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                    हम पंचांग किसे कहते हैं-   तिथि ,वार ,नक्षत्र ,योग और करण का समन्वय जहां पर हो उसे पंचांग कहते हैं पंचांग के माध्यम से किसी भी मुहूर्त का ज्ञान किया जा सकता है पंचांग ज्योतिष विषय की प्रवेशिका होता है । उसी के द्वारा ग्रहों की स्थिति का त्वरित निर्णय हो पता है । ग्रहों की गति नक्षत्रों का चराचर पर प्रभाव आदि सब कुछ पंचांगीय क्रम से ही निर्णय दिया जा सकता है । *16 तिथियों के नाम * 1)प्रतिपदा,2) द्वितीया,3) तृतीया ,4) चतुर्थी, 5) पंचमी ,6) षष्ठी ,7) सप्तमी ,8) अष्टमी, 9) नवमी , 10) दशमी , 11) एकादशी , 12) द्वादशी , 13) त्रयोदशी , 14) चतुर्दशी, 15) पूर्णिमा , 30) अमावस्या ।। *7 वार नाम * 1) रविवार , 2) सोमवार , 3) मंगलवार, 4) बुधवार, 5) गुरुवार, 6) शुक्रवार, 7) शनिवार, *28 नक्षत्रों के नाम * अश्विनी , भरणी , कृत्तिका ,रोहिणी ,मृगशिरा ,आर्द्रा ,पुनर्वसु पुष्य ,आश्लेषा ,मघा ,पूर्वा फाल्गुनी ,उत्तरा फाल्गुनी ,हस्त ,चित्रा, स्वाति, विशाखा ,अनुराधा ,ज्येष्ठा, मूल ,पूर्वाषाढ़ा ,उत्तराषाढ़ा ,श्रवण ,धनिष्ठा शतभिषा ,पूर्वाभा...

श्री कृष्ण भजन इक दिन तू मेरी गली आ जाना

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                   एक दिन तू मेरी गली आ जाना ...२                        मेरा भी माखन तू  खा जाना …२ ब्रज की पुकार हो द्रौपदी की टेर आते हो दौड़ नहीं करते हो देर …२  मेरी भी बिगड़ी बना जाना मेरा भी माखन तू खा जाना तू खा जाना …२ एक दिन तू मेरी गली आ जाना आ जाना हूँ .. मेरा भी माखन तू खा जाना तू खा जाना …२ माना वृन्दावन से मेरा घर है बड़ी दूर किन्तु मुरली वाले तुम आना जरूर …२ प्यारी सी … बंशी सुना जाना मेरा भी माखन तू खा जाना तू खा जाना …२ हूँ .. मेरा भी माखन तू खा जाना तू खा जाना …२ *** समाप्त***