पंचांग परिचय

                    हम पंचांग किसे कहते हैं-

 तिथि ,वार ,नक्षत्र ,योग और करण का समन्वय जहां पर हो उसे पंचांग कहते हैं पंचांग के माध्यम से किसी भी मुहूर्त का ज्ञान किया जा सकता है पंचांग ज्योतिष विषय की प्रवेशिका होता है । उसी के द्वारा ग्रहों की स्थिति का त्वरित निर्णय हो पता है । ग्रहों की गति नक्षत्रों का चराचर पर प्रभाव आदि सब कुछ पंचांगीय क्रम से ही निर्णय दिया जा सकता है ।

*16 तिथियों के नाम *
1)प्रतिपदा,2) द्वितीया,3) तृतीया ,4) चतुर्थी, 5) पंचमी ,6) षष्ठी ,7) सप्तमी ,8) अष्टमी, 9) नवमी , 10) दशमी , 11) एकादशी , 12) द्वादशी , 13) त्रयोदशी , 14) चतुर्दशी, 15) पूर्णिमा , 30) अमावस्या ।।

*7 वार नाम *
1) रविवार , 2) सोमवार , 3) मंगलवार, 4) बुधवार, 5) गुरुवार, 6) शुक्रवार, 7) शनिवार,

*28 नक्षत्रों के नाम *

अश्विनी , भरणी , कृत्तिका ,रोहिणी ,मृगशिरा ,आर्द्रा ,पुनर्वसु पुष्य ,आश्लेषा ,मघा ,पूर्वा फाल्गुनी ,उत्तरा फाल्गुनी ,हस्त ,चित्रा, स्वाति, विशाखा ,अनुराधा ,ज्येष्ठा, मूल ,पूर्वाषाढ़ा ,उत्तराषाढ़ा ,श्रवण ,धनिष्ठा शतभिषा ,पूर्वाभाद्रपद ,उत्तरा भाद्रपद ,रेवती, अभिजित

*27 योगों के नाम *

विष्कुम्भ , प्रीति ,आयुष्मान ,सौभाग्य, शोभन ,अतिगण्ड ,सुकर्मा ,धृति ,शूल ,गण्ड, वृद्धि, ध्रुव ,व्याघात ,हर्षण ,वज्र, सिद्धि ,व्यतीपात ,वरीयान, परिघ ,शिव , सिद्ध , साध्य ,शुभ ,शुक्ल ,ब्रह्मा ,ऐन्द्र , वैधृति

11 करणों के नाम

1) बव , 2) बालव , 3) कौलव , 4) तैतिल 5) गर 6) वणिज, 7) विष्टि 8) शकुनि 9) चतुष्पद 10) नाग 11) किंस्तुध्न।।





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